Tuesday, December 30, 2014

अजन्‍ता का संक्षिप्‍त परिचय

अजन्ता

महाराष्ट्र राज्य के औरगंाबाद जिले में बाघोरा नदी कि अर्धचन्द्राकार घुमाव पर।
खोज - 1819 में एक अग्रेंज सैनिक द्वारा अनायास ही हुई।
गुफाएं - दो प्रकार की गुफाएं है चैत्य और विहार। कुल 30 गुफाएं हैं।
(चैत्य - बौद्ध भिक्षुओं के पूजा स्थल विहार विश्राम स्थल)

निर्माण काल- 200 वर्ष ईसा पूर्व से लेकर 700 ईस्वी के मध्य। गुफा सख्ंया 9 व 10 सबसे प्राचीन है तथा गुफा सख्ंया 1 व 2 सबसे बाद की है।
चित्रों केे विषय - मूल रुप से बौद्ध धर्म पर आधारित है। जातक कथाएं (भगवान बुद्ध के जन्म जन्मान्तर की कथाएं) बौद्धिसत्व रुप, दरबार, प्राकृतिक सौन्दर्य, सामाजिक जीवन व अलंकर है।
विशेषताएं - भारतीय कला का सर्वोतम स्वरुप है। अतुलनीय नारी सौन्दर्य। रेखा प्रधान है गतिपूर्ण व लयात्मक है। नाटकीय मुद्राएं कोमल शरीर। कमल पुष्प,लताए आदि आकर्षक। आकार शास्त्रीय।
रंग - खनिज रंग लाल रंग के लिए गेरु व हिरमिच,पीले के लिए पीली मिट्टी,हरे के लिए हरा भाटा (ग्लेकोनाइट पत्थर) काले के लिए काजल,सफेद के लिए चूना पत्थर। नीले के लिए (लेपिसलाजुलि) ईरान से मंगवाते थे। रंग गौेंंद व सरेस के माध्यम से लगाए जाते।
चित्रण विधि- खुरदरी दिवारों पर गोबर,चूना,घास आदि की दोहरी परत लगाकर उस पर चिकना घोल लगाया जाता था। इस पर लाल रंग से रेखांकन कर चित्र बनाए जातें।
महत्वपूर्ण चित्र
दमपाणि बौद्धिसत्व - गुफा स0 1 में है। अन्य मानवों से बड़ी है बौद्धिसत्व आकृति। भावपूर्ण। हाथ में कमल पुष्प। लाल व नीले रंग की सुन्दर संगति।
सर्वनाश गुफा सख्ंया 2 मेें अकिंत एक वृद्ध व्‍यक्ति जो खाली हाथ व निराशा का भाव दर्शा रहा है।
छदन्त जातक- हाथीयों व पेड़ो का चित्ताकर्षक दृश्‍य कई खण्डो मे बांटकर पूरा कथानक अकिंत हैं।
मरणास न्‍न राजकुमारी- गुफा संख्या 16 नारी देह पर छायी मृत्यु की छाया व सेविकाओं का समर्पण भाव। अत्‍यन्त मार्मिक दृश्‍य है।
राहुल समर्पण - गुफा संख्या 17 मेें अकिंत चि़त्र में शान्त चित बुद्ध सर्वस्व समर्पण हेतु यशोधरा व अबोध राहुल का सुन्दर चित्रण।
षडचक्र- गुफा संख्या 17 इसमें बाजार उद्यान आदि का अकंन है। तिब्बती परपंरा का है।














1 comment:

  1. इस ब्लॉग को पढ़ना मेरी रोजमर्रा की आदत हो गई है। मेरा यह लेख भी पढ़ें अजंता गुफा के बारे में

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